03-11-15  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

"प्रभु प्यारों का संगठन संगम के इस महान समय में ही होता है, हर बच्चे के दिल में बाबा और बाबा के दिल में सिकीलधे बच्चे हैं"

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि हर एक बच्चा बाप को देख हर्षित हो मिलन मना रहा है। यह बाप और बच्चों का रूहानी मिलन कितना प्यारा है। यह मिलन अमर बनाने वाला मिलन है। हर एक बच्चा अमर भव के वरदानी है। कुछ भी हो लेकिन बच्चे बाप से मिलन मनाने में सदा बिजी हैं। सबके मुख से क्या निकल रहा है? वाह बाबा वाह! और बाप के मुख से यही बोल निकल रहे हैं - वाह मेरे सिकीलधे बच्चे वाह! वाह! सबके मुख से वाह-वाह का गीत सुनाई दे रहा है। सबके चेहरे वाह-वाह के गीत गा रहे हैं। बापदादा भी रेसपान्ड दे रहे हैं वाह बच्चे वाह! सबके दिल का आवाज चाहे दूर हैं, चाहे नजदीक हैं लेकिन सबके दिल का आवाज रेसपान्ड कर रहा है, बाप कहते वाह बच्चे वाह और बच्चे कहते वाह बाबा वाह। यह वाह वाह का गीत गूंज रहा है। सबके फेस से आटोमेटिक वाह वाह निकल रहा है। आज की मुबारक सबके मुख से सुनाई दे रही है। सभी एक ही खुशी का गीत गा रहे हैं वाह बाबा वाह! बाप के मुख से गीत है वाह सिकीलधे एक-एक बच्चा वाह! तो इस समय सारी सभा के दिल का आवाज वाह बाबा वाह! बाप का आवाज वाह बच्चे वाह! सब वाह वाह हैं। भले पुरुषार्थी हैं, नम्बरवार भी हैं लेकिन हर एक के मन का आवाज एक ही है वाह वाह! सोच क्या रहे हैं! वाह वाह कर रहे हैं। आप सबके दिल का आवाज वाह वाह का है ना! बाबा कहते वाह सिकीलधे बच्चे वाह और बच्चे कहते वाह बाबा वाह! तो सब कौन बैठे हैं? कहाँ से भी आये हैं लेकिन यह संगठन किन्हों का है? चाहे नम्बरवार भी हैं लेकिन बाप के बच्चे हैं इसलिए जैसे बाप वाह वाह है, हर एक की दिल में क्या बज रहा है? वाह बाबा वाह। बाप की दिल में क्या गीत बज रहा है? वाह बच्चे वाह! भले नम्बरवार हैं लेकिन हर एक के जीवन का लक्ष्य क्या है? विश्व में अगर वाह वाह का संगठन देखना हो तो कहाँ देखने में आयेगा?

आज भी अभी बापदादा वाह वाह का संगठन देख रहा है। चाहे नम्बरवार तो हैं लेकिन हैं वाह वाह! सब प्रभु प्यारे हैं। तो यह संगठन प्रभु प्यारों का है। हर एक चाहे नम्बरवार हो लेकिन मूल आधार सबका एक है। सबके दिल से मुख से क्या निकलता है? वाह बाबा वाह! और बाप के मुख से क्या निकलता है? वाह सिकीलधे बच्चे वाह! तो हर एक अपने को चाहे बैठने में आगे पीछे हो लेकिन हर एक बाप के सिकीलधे हैं। बाप भी हर एक बच्चे को उसी रूप में देख रहे हैं। हर एक के दिल में कौन? तो क्या कहेंगे? वाह वाह बाबा! और बाप की दिल में कौन? हर बच्चा है। नम्बर है लेकिन सिकीलधे सब हैं।

आज का यह संगठन क्या कहेंगे? हर एक बाप का सिकीलधा है। ऐसे अनुभव करते हो ना! सबके सूरत से ऐसा अनुभव हो रहा है कि सबके दिल में एक बाप है। और बाप भी हर बच्चे को देख देख मुस्करा रहा है वाह बच्चा वाह! यह मिलन इस समय का मिलन कितना महान है! सारे कल्प के अन्दर अगर महान समय है तो अब है इसीलिए गायन है संगमयुग महान युग है। बापदादा इसी महानता से बच्चों से मिल रहे हैं। बच्चे कहते हैं बाप महान है, बाप क्या कहते हैं? चाहे कैसा भी बच्चा है लेकिन बाप का अति प्यारा है। भले नम्बरवार है लेकिन बाप को हर बच्चा प्यारा है। बाप का प्यार हर बच्चे को अनुभव में है। प्यार से क्या कहते? मेरा बाबा। और बाप क्या कहते? एक एक को, मेरा बच्चा। एक दो से प्यारे हैं।

आज का दिन मिलन का दिन है। कितने भी बच्चे हैं, कहाँ भी है, कैसा भी है लेकिन बाप का प्यारा है। ऐसे है? हर एक बाप का प्यारा है। हाथ उठाओ। देखो, सभी के हाथ यहाँ आके देखो। दादी यहाँ से देखो सबका कितना प्यार है। सबके प्यार का हाथ उठ रहा है। यहाँ से भी देख रहे हैं। यहाँ बैठे भी देख सकते हैं। जहाँ भी देखो कौन बैठे हैं? हाँ देखो आके कितना मजा आता है। बाप के प्यारे, लाडले बैठे हैं और कितने साधारण बैठे हैं। सभी बाप के प्यारे हैं ना! हाथ उठाओ। यह सीन आके देखो, सब कैसे मुस्कराते हैं। सबके दिल का हाल शक्ल से दिखाई दे रहा है। सबके दिल में कौन? क्या कहेंगे? मेरा बाबा। और बाप क्या कहते हैं? मेरा बच्चा। सभी बाप के प्यारे लाडले हैं ना। हैं? हाथ उठाओ। देखो, बाप देख रहे हैं, आपको देखने में नहीं आता लेकिन बाप कहते हैं एक बारी आके सभा को देखो, कितने प्यारे हैं। कितने लाडले हैं। देखा है? आओ (बापदादा दादी जानकी को बुला रहे हैं) आ सकती हैं। हाँ खड़े होकर देखो। (वन्डरफुल बाबा वाह बाबा वाह, बाबा बहुत अच्छी सभा है) हर एक बच्चा लाडला है।

सेवा का टर्न इन्दौर का है, 7 हजार आये हैं, उसमें होस्टल की 150 कुमारियां हैं:- सब सेवा के लिए एवररेडी हैं। बाप ने देखा हर एक ज़ोन समय पर अपना पार्ट अच्छा बजा रहे हैं और आप सब भी हर ज़ोन के सेवा से सन्तुष्ट हैं ना! सन्तुष्ट है? हाथ उठाओ।

500 डबल विदेशी 55 देशों से आये हैं:- डबल विदेशी ज्यादा आये हैं। डबल विदेशी सभी हाथ उठाओ। देश के भी अच्छे निमित्त बने हुए हैं। डबल विदेशी, वैसे भी विदेशी पुरूषार्थ करने में अच्छे हैं। पुरूषार्थ में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे नहीं कि इन्डिया वाले नहीं। हर एक बच्चा चाहे इन्डियन हैं, चाहे विदेशी है लेकिन हर बच्चा अच्छे पुरूषार्थ में लगे हुए हैं। हर एक के मन में यही है कि नम्बर आगे से आगे लेना ही है। बापदादा भी बच्चों का पुरूषार्थ देख खुश है कि बाप से, दादा से सभी का चाहे विदेशी चाहे देशी, हर एक का बापदादा से दिल का प्यार अच्छा है और बापदादा का प्यार भी देश विदेश एक-एक बच्चे से दिल का प्यार है। चाहे नम्बर कैसा भी हो लेकिन बाप का प्यार लास्ट बच्चे से भी ज्यादा है क्योंकि हर एक याद में बैठते हैं तो किसकी याद में बैठते हैं? बाप की याद में बैठते हैं। जो बच्चे एक ही बाप की याद में रहते हैं तो बाप भी चाहे देशी चाहे विदेशी सबका प्यारा है। बाप के दिल में कौन? हर एक बच्चा दिल का दुलारा है।

बाप का सभी बच्चों के लिए, चाहे देशी विदेशी हर बच्चे के लिए दिल में प्यार है। बाप ने देखा है कि हर बच्चे का भी बाप से प्यार है तभी चल रहे हैं। अगर बाप से कनेक्शन नहीं हो तो शक्ति कहाँ से लेंगे। बाप से ही तो शक्ति लेके चल रहे हैं। बच्चों का प्यार बाप से अच्छा है। और बाप का प्यार हर बच्चे से है। कहाँ भी है चाहे देश, चाहे विदेश लेकिन हर बच्चा बाप का प्यारा है। चाहे कोई भी हो, बाप का प्यार चला रहा है। बाप को याद ही नहीं करेंगे तो शक्ति कहाँ से मिलेगी। हर एक का सम्बन्ध बाप से है। कोई कहे हमारा बाप से प्यार नहीं है, वह हाथ उठाओ। जो अपने आपको समझते हैं कि हम अपने पुरूषार्थ से चल रहे हैं। पुरूषार्थ कितना भी करें, कोई समझते हैं कि हम अपने पुरूषार्थ से चल रहे हैं, तो वह हाथ उठाओ। (कोई नहीं)

मोहिनी बहन:- सदा बाबा साथ है। हर बच्चे के साथ है। सदा बाप साथ है, ऐसे अनुभव होता है? बाप हर एक बच्चे के सदा साथ है, बाप एक होते भी सबसे निभा सकता है। अभी आप देखो जितने भी बैठे हो, तो किसका साथ है? बाप का ना! तो बाप के साथी हैं, एक-एक के साथ बाप है और साथ रहेंगे। बाप हर एक के साथ है ना।

मोहिनी बहन, न्युयार्क:- जो पार्ट बजा रहे हैं, अच्छा है। (बाबा यहाँ तक ले आये इसलिए आपको बहुत-बहुत थैंक्स) कहाँ भी हो, हर बच्चे का यादप्यार बाप को पहुंचता रहता है। कोई भी दूर नहीं है, दिल में है। सबसे नजदीक हो। (दूरी नहीं लगती है) दूर है भी नहीं।

सभी बाप के दिल में समाये हुए हैं। सभी दिल में हैं ना? दिलवर कौन? बापदादा ही तो दिलवर है। बच्चों का दिल भी बाप के साथ है ही। बिना बाप के साथ के कोई है ही नहीं। साथ हैं, साथ रहेंगे। सभी सदा साथ के अनुभव में रहते हैं ना! हाथ उठाओ।

(रमेश भाई ने पूना के जगदम्बा भवन का नक्शा बापदादा को दिखाया) जितना भी बढ़ाने चाहो उतना बढ़ा सकते हो, चाहे जगदम्बा, चाहे कोई कार्य के निमित्त कोई बच्चा भी है, तो भी हर एक बढ़ सकता है और बढ़ रहा है। बापदादा को खुशी है कि हर एक बच्चा आगे बढ़ रहा है। जितनी भी ताकत है उतना अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। हर एक बच्चे में उमंग उत्साह अच्छा है। बापदादा खुश है कि हर एक बच्चा सदा अपने पुरूषार्थ में लगा हुआ है और लगा रहेगा।

सभी अच्छे पुरूषार्थ में आगे बढ़ रहे हैं, यह देख बापदादा खुश है। कुछ भी हो लेकिन अपना पुरूषार्थ अपने साथ है और सारा परिवार भी साथ है, अकेले नहीं हो। साथी हैं और साथ रहेंगे। हर एक के दिल में एक ही बाप याद है।

(बृजमोहन भाई ने दिल्ली - इन्डिया गेट का प्रोग्राम सुनाया, 8 नवम्बर को वहाँ बड़ा प्रोग्राम रखा है, वहाँ दोनों दादियां आ रही हैं उसमें विशेष हम क्या करें?) विशेष यही है कि बाप को प्रत्यक्ष करना है। बाप को प्रत्यक्ष करना अर्थात् सब कुछ करते सब सम्बन्ध एक बाप से रखना है। तो बाप से सम्बन्ध रखने का आधार बहुत अच्छा है। खास संगठित प्रोग्राम रखना है। कोई भी नहीं समझे कि यह दिल्ली का प्रोग्राम है। सबका बाप है, सबका प्रोग्राम है। भले कोई नजदीक है, कोई दूर है लेकिन है सभी का। यही उमंग उत्साह है और इसी को ही बढ़ाना है। कहाँ भी प्रोग्राम है लेकिन हमारा है। एक ही परिवार है। एक ही सबका बाप है। एक हैं, चाहे अनेक दिखाई देते हैं लेकिन सभी एक हैं। यही विशेषता यहाँ की है, टुकड़ा टुकड़ा नहीं है।

(डा.बनारसी भाई ने मेडिकल विंग सेवाओं का बुक दिखाया) अच्छा है, सभी बनाते हैं और बाप खुश होते हैं। बस सब मिल करके चल रहे हैं और चलते रहेंगे।

भूपाल भाई ने उदयपुर के मकान के बारे में पूछा:- जो भी कार्य चलता है ना उसमें सभी का साथ है। एक का नहीं, ब्रह्माकुमारियों का है, कुमार उसमें आ गये। (उदयपुर में सबका आना जाना होता है) आना-जाना तो रहेगा ही, परिवार है ना।

ओमप्रकाश भाई, इन्दौर:- तबियत ठीक है। (पहली बार बीमार हुआ हूँ) सबकी मदद से बाप के साथ से आगे बढ़ते चलो। ठीक चल रहे हैं, आगे बढ़ते रहेंगे। तबियत थोड़ी है ढीली लेकिन ठीक हो जायेगी। अच्छा है। सम्भाल से चलते रहो।

कमलेश बहन, कटक:- ठीक है। अच्छा है। (आपकी ब्लैसिंग से ठीक है) ब्लैसिंग तो सदा है ही। जो भी तबियत में थोड़ा बहुत होता है, तो समय कलियुग का है, इसमें यह सब तो आता ही है लेकिन सब कुछ होते हुए बाप की याद में सूली से कांटा बनाना है। आवे कितना भी सूली के रूप में लेकिन बाप की याद से कांटा बन जाये। अच्छा।